रंग डारौ रे संगी
जिनगी ला होली मा
मीठ-मीठ बोली मा
रंग डारौ रे संगी
झगरा लड़ाई में मया दुरि हावै
सहजे बोली हां कैसे करूआवै
ये करुहा बोली ला
रंग डारौ रे संगी
महल अटारी बहुत बनाये
कहुं में नई हमाय
नई बनाय मया के
एक ठन खोली ला
रंग डारौ रे संगी
ऊंच नीच के भेद
तोर बनावल
धुरिहा धुरिहा ले पहुँचे
अपने तीर नई सके पहुँच
जिनगी कटे ठोली बोली मा
रंग डारौ रे संगी
ये करुहा बोली ला
ये मया के खोली ला
ये ठोली बोली ला
रंग डारौ रे संगी
गीत & रचनाकार- भुवन लाल श्रीवास जी
महासमुंद
2 टिप्पणियाँ:
बहुत ही खुबसूरत रंगों से भरा हो आपका होली का त्यौहार.....
होली की शुभकामनाएँ...
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धन्यवाद